अष्टापद तीर्थ पर होगा 80 से अधिक वर्षीतप आराधकों का पारणा प्रज्ञाश्रीजी म.सा. के सान्निध्य में तप आराधना का भव्य समापन

अष्टापद तीर्थ पर होगा 80 से अधिक वर्षीतप आराधकों का पारणा प्रज्ञाश्रीजी म.सा. के सान्निध्य में तप आराधना का भव्य समापन

     -अष्टापद तीर्थ प्रेरिका-

प. पू. जिनशिशु प्रज्ञाश्री जी म. सा.

राजकुमार हरण की कलम से:-

हाटपिपलिया/जावरा जैन समाज की कठिनतम तपस्याओं में से एक वर्षीतप की आराधना कर रहे 80 से अधिक तपस्वियों का पारणा उत्सव आगामी 30 अप्रैल 2025 (बुधवार) को श्री अष्टापद तीर्थ, हाटपिपलिया पर परम पूज्य प्रज्ञाश्रीजी म.सा. के दिव्य सान्निध्य में अत्यंत श्रद्धा और उल्लास के साथ संपन्न होगा। इस महाआयोजन का मुख्य आकर्षण यह है कि देशभर में लाखों श्रावक-श्राविकाएं इस तप की आराधना कर रहे हैं, जो स्वयं में एक विलक्षण आध्यात्मिक दृश्य उपस्थित करता है।

   आयोजनकर्ता श्री वर्धमान जैन सुकृत ट्रस्ट एवं श्री अष्टापद तीर्थ के तत्वावधान में हो रहे इस उत्सव में प.पू. आचार्य श्री पूर्णानंदसागर सूरिश्वरजी म.सा. के आशीर्वाद तथा प.पू. जिनशिष्य प्रज्ञाश्रीजी म.सा. के पावन सान्निध्य में तप आराधना की पूर्णता का पर्व मनाया जाएगा।

कार्यक्रम क्रम इस प्रकार रहेगा :-

29 अप्रैल, मंगलवार रात्रि 7:30 बजे : पारणा पूर्व रात्रि भक्ति

30 अप्रैल, बुधवार प्रातः 5:27 बजे : भक्तामर स्तोत्र पाठ

5:59 बजे : पक्षाल पूजन

9:00 बजे : नवकारसी पश्चात धर्मसभा

11:00 बजे : वर्षीतप तपस्वियों का पारणा

11:30 बजे : स्वामी वात्सल्य

मुख्य लाभार्थी — कोठारी परिवार की पुत्रवधू श्रीमती नेहल कोठारी के वर्षीतप निमित्त यह आयोजन किया जा रहा है। लाभार्थी परिवारों में श्रीमती केसरबाई-स्व. नेमचंदजी कोठारी, श्रीमती मनोरमादेवी-स्व. पारसमलजी, श्री प्रकाशचंद व श्री प्रदीप कुमार कोठारी (जावरा-रतलाम) प्रमुख हैं।

आयोजन समिति — अध्यक्ष : आदरकुमार भंसाली सचिव : रविन्द्र श्रीमाल कोषाध्यक्ष : मनीष कोचर तथा समस्त ट्रस्ट सदस्यगण ने अधिकाधिक वर्षीतप आराधकों से पधारकर पारणा महोत्सव को दिव्यता प्रदान करने का आग्रह किया है।

इस पारणा महोत्सव में जावरा, मंदसौर, रतलाम, उज्जैन, इंदौर, नासिक, मुंबई सहित देश के विभिन्न नगरों के साधकों की उपस्थिति रहेगी। पत्रिका में प्रकाशित सूची में महिला, पुरुष, युवा और वरिष्ठ आराधक सम्मिलित हैं, जिन्होंने इस कठोर तप को अद्वितीय श्रद्धा, संयम एवं उमंग के साथ पूर्ण किया।

यह आयोजन न केवल आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार करेगा, बल्कि समाज को संयम, त्याग और आत्मानुशासन की प्रेरणा भी प्रदान करेगा।

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