थांदला में धर्म के संस्कार तो बचपन से ही दिखने लगते है – जयन्तमुनि
थांदला नन्दन सहित जयन्तमुनि का थांदला में हुआ मंगल प्रवेश
थांदला। धर्म नगरी थांदला में अपने धर्म गुरु प्रवर्तक श्री जिनेन्द्रमुनिजी के साथ उज्जैन में भव्य चातुर्मास करते हुए विभिन्न क्षेत्रों की स्पर्शना करते हुए थांदला के नन्दन पूज्य श्री जिनांशमुनिजी अपने गुरु भ्राता बड़े मुनि पूज्य श्री जयन्तमुनिजी के साथ पहली बार थांदला पधारें। इस अवसर पर थांदला विराजित महासती पूज्याश्री निखिलशीलाजी म.सा. आदि ठाणा सहित थांदला संघ के श्रावक-श्राविका पूज्य गुरुभगवंतों की भव्य आगवानी के लिए तलावली रोड़ पर गए व गुरुभगवंतों व महापुरुषों के जयनाद करते हुए उनका मंगल प्रवेश करवाया। इस अवसर पर विशाल धर्म सभा को सम्बोधित करते हुए पूज्य श्री जयन्तमुनिजी ने कहा कि धर्म नगरी थांदला में हम सबके आराध्य पूज्य गुरुवर श्री उमेशमुनिजी का जन्म हुआ है फिर यहाँ प्रवर्तक श्री का चातुर्मास भी हुआ है तब यही से एक संत और निकले जो आज मेरे साथ पाठ पर विराजमान है। वही इस नगरी में पिछले वर्ष ही अणुवत्स का चातुर्मास भी हुआ है ऐसे में यहाँ समाजजनों में धर्म के संस्कारों में वृद्धि होना स्वाभाविक ही है पूज्यश्री ने कहा कि आज प्रातः श्रावक-श्राविकाओं से ज्यादा उत्साह बच्चों में देखा उनका सन्तों के विहार में आना यहाँ के बच्चों में बचपन से धर्म संस्कार का होना दर्शाता है। इस अवसर पर सबके आग्रह पर थांदला में पहली बार जिनवाणी फरमाते हुए बुद्धपुत्र के शिष्य थांदला नन्दन पूज्य श्री जिनांशमुनिजी ने दशवैकालिक आगम के चौथे अध्ययन की प्रसिद्ध गाथा सोच्चा जाणेई कल्लानणम सोच्चा जाणेई पावगम … का सार फरमाते हुए कहा कि जीव सुनकर ही कल्याण के मार्ग को जानता है तो पाप के मार्ग को भी। सबसे महत्वपूर्ण है सुनना क्योंकि सबके पास इसकी क्षमता नही है। हमने भी अनन्त भव निगोद में बिताए फिर कुछ पुण्यवानी फली तब अन्य भव में आये इस तरह आवागमन करते हुए हमने यह मानव भव प्राप्त किया है इसकी विशेषता व दुर्लभता को पहचानों व क्या अपनाना है उसे जानों। आपने कहा कि आज हम सब अपना अधिकांश समय सुनने में ही व्यतीत कर रहे है लेकिन व्यर्थ की विकथाओं में अपने कषाय का पोषण भी कर रहे है इससे ऊपर उठकर भगवान की वाणी सुनकर उस पर चिंतन कर पुरुषार्थ करें।
संत के गुणों का स्मरण कर श्रद्धांजलि दी गई
पूज्य श्री धर्मदास गण के महानायक जिन शासन गौरव जैनाचार्य पूज्य श्री उमेशमुनिजी “अणु” के प्रथम शिष्य वर्तमान प्रवर्तक पूज्य श्री जिनेन्द्रमुनिजी महाराज साहेब के सुशिष्य पूज्य श्री सुलभमुनिजी महाराज साहेब के आसामयिक व आकस्मिक देवलोक गमन की सुचना पाते ही सम्पूर्ण जैन समाज मेँ दुःखद आश्चर्य हुआ। जानकारी देते हुए संघ प्रवक्ता पवन नाहर ने बताया कि पूज्य श्री के भोपाल में आकस्मिक देवलोक गमन की सूचना से सकल श्रीसंघ में शोक की लहर दौड़ गई। इस अवसर पर थांदला श्रीसंघ अध्यक्ष भरत भंसाली ने सांयकाल देवसीय प्रतिक्रमण के पश्चात श्री वर्धमान श्रावक संघ के श्रावको के बीच पूज्य श्री के जीवन पर प्रकाश डालते हुवें संघ की ओर से विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित की गई। इस अवसर पर सभी श्रावकों ने पूज्यश्री को शीघ्र अव्याबाध सुख मिले व तब तक हर भव में जिनशासन मिलता रहे ऐसी मंगल कामना करते हुए दो –दो लोगस्स का ध्यान किया गया।

प्रधान संपादक
पत्रकार – 30 वर्षों से निरंतर सक्रिय होकर – नेशनल न्यूज के मैनेजिंग डायरेक्टर, सोशल मीडिया फाउण्डेशन के राष्ट्रीय प्रवक्ता भी है। आप वर्तमान समय में प्रदेश की सकारात्मक पत्रकारिता करते हुए शासन प्रशासन के तीखे आलोचक बनकर जनता की मूलभूत समस्याओं को प्राथमिकता से उठाते हुए उसका निराकारण करवाने के लिए प्रतिबद्ध है। जीवदया अभियान के राष्ट्रीय संयोजक होकर समाजसेवा में रुचि रखते है।