बहुत दिनों बाद थांदला बीएमओ जागे – बंगाली क्लिनिक छोड़ कर भागे
थांदला। नगर में बेधड़क चल रहे अवैध क्लीनिकों पर आज स्वास्थ्य विभाग ने नायब तहसीलदार के साथ मिलकर 7 स्थानों पर छापामार कार्यवाही की।
बड़े दिनों बाद लगातार मिल रही शिकायतों को पर थांदला बीएमओ डॉ. अनिल राठौड़ ने कार्यवाही का दम दिखाया। उक्त कार्यवाही की नगर में आग की तरह खबर फैल गई जिसके चलते अधिकांश अवैध क्लिनिक संचालक अपना क्लिनिक बन्द कर नो दो ग्यारह हो गए।

थांदला बीएमओ ने बताया कि नगर के मुकेश नायक (न्यू साई मेडिकल स्टोर), सोहन कटारा (आयुष क्लिनिक), निलेश कुमार बांगडिया (ओम सांईराम क्लिनिक), सागर कुमार मित्रा (कृष्णा क्लिनिक), काजल कुमार विश्वास (धनवन्तरी फार्मेसी एवं जनरल स्टोर क्लिनिक), मोहन मांगीलाल निनामा (आर्शीवाद क्लिनिक) व हरीश हाडा (हरीओम डे केयर हॉस्पीटल क्लिनिक) पर छापा मारा गया जहाँ सभी के पास फ़ार्मेसी के लाइसेंस मिले लेकिन सभी अपने क्लिनिक पर प्रैक्टिस करते पाए गए जिसके खिलाफ प्रकरण व पंचनामा बनाया जा कर उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई जाएगी वही प्रकरण न्यायालय में प्रस्तुत किया जाएगा वही उन्होनें अन्य क्लीनिकों पर भी कार्यवाही की बात कही है।
जब बीएमओ से अन्य क्लिनिक के बन्द कर भाग जाने की बात स्वीकारी गई तब उन्होंने उन क्लिनिक को सील क्यों नही किया गया व उन क्लिनिक के मालिक पर कार्यवाही क्यों नही की गई उनकी कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लगाता है। बीएमओ ने आयुर्वेदिक व होम्योपैथी तथा अन्य डिग्री धारक द्वारा एलोपैथी के द्वारा ईलाज किये जाने पर लायसेंस रद्द की प्रक्रिया पूर्ण नही करने के कारण भी नगर व अंचल में बंगाली झोलाछाप डॉक्टरों के हौसलें बुलंद है अब देखना यह है कि जो क्लिनिक छोड़ कर भाग गए उन पर व अन्य बंगालियों पर आगे प्रबंधन किस प्रकार की कार्यवाही करता है।

प्रधान संपादक
पत्रकार – 30 वर्षों से निरंतर सक्रिय होकर – नेशनल न्यूज के मैनेजिंग डायरेक्टर, सोशल मीडिया फाउण्डेशन के राष्ट्रीय प्रवक्ता भी है। आप वर्तमान समय में प्रदेश की सकारात्मक पत्रकारिता करते हुए शासन प्रशासन के तीखे आलोचक बनकर जनता की मूलभूत समस्याओं को प्राथमिकता से उठाते हुए उसका निराकारण करवाने के लिए प्रतिबद्ध है। जीवदया अभियान के राष्ट्रीय संयोजक होकर समाजसेवा में रुचि रखते है।