अब तो चंदू-कालू भी करने लगे चुनाव की बातें
पवन नाहर – 9424567444
थांदला। भाजपा शासित नगर परिषद से जनता को बहुत आस थी। जिसे पूरा करने व आत्म विकास में भरसक प्रयास करते हुए उसने अपना कार्यकाल लगभग पूरा कर लिया। अंचल में मेघनगर राणापुर में नई परिषद ने अपना नवीन कार्यकाल शुरू कर दिया है इधर शेष बची झाबुआ, पेटलावद व थांदला में वार्डवार पार्षद प्रत्याशियों के आरक्षण के साथ ही चुनावी गतिविधियां तेज हो गई है। भाजपा व कांग्रेस जहाँ अपने प्रत्याशियों की तलाश में लगी हुई है वही उनकी राह आसान करने सोशल मीडिया पर अनेक दावेदरियां होने लगी है। अब इनमें गम्भीर कितने है और कितने चुटकी ली रहे है यह तो आने वाला वक्त ही तय करेगा लेकिन एक बात तो तय है कि आने वालें नगर परिषद में राजनीतिक दलों के अलावा निर्दलीय पार्षद प्रत्याशियों की लंबी फेहरिस्त देखने को मिलेगी। जीत हो या हार पार्टी अब कार्यकर्ताओं की उपेक्षा नही कर सकती और कार्यकर्ता भी जानते है कि वे चुनाव लड़े और परिणाम उनके पक्ष में आये तो उनका रुतबा बहुत बढ़ जाएगा लेकिन यदि हार भी नसीब हुई तो वे पार्टी में ऊचें पद से नवाजे जाएंगे इस बात का तो इतिहास गवाह है।
खैर! यह पार्टी की बात हुई जो उनका अंदरूनी मामला है लेकिन अगर जनता की बात की जाए तो हर गली मोहल्लों से लेकर मालवी पान वालें व हरि – तुलसी – अनिल – कैलाश चाय वालें की दुकान पर एक ही चर्चा है और वह है किसी वार्ड से कौन खड़ा हो रहा है आलम यहाँ तक पहुँच गया है कि अब तो थांदला के प्रसिद्ध चंदू – कालू भी चुनाव की बातें करने लगे है, हालांकि उनकी बातों को कोई गम्भीरता से नही लेता पर वे बात पते की कर जाते है। जब मैंने उनसे पूछ लिया कि तुम किस वार्ड से खड़ा होने की सोच रहे हो तो वे बोलें पवन भई हम मुक्त वार्ड के है इसलिए कही से भी खड़े हो जाएंगे। अब जन सेवा का लाइसेंस पार्षद पद ही तो है ये अलग बात है कि हम दुकानों व कालें पैसे की लालच में ही चुनाव लड़ने की सोच रहे है। जनता भी हमारा साथ देगी क्योंकि इतने समय तक हमने उनकी निःस्वार्थ सेवा की है। मैंनें जब उनसे पूछा तुमने जनता की सेवा कैसे की तो वह अपने पूरे आत्मविश्वास को प्रकट करते हुए बोलें जनता का कचरा साफ किया, बाहरी लोगों को भगाया किसी के अतिक्रमण में रुकावट नही बने एक चाय कि खातिर सबके गुण गाये जिसने नही दी उनको परेशान भी किया गालियां भी दी बस यही काम तो पार्षद करते है।
चंदू कालू की बात पते की है पर कही न कही सच को बयां करने वाली ही तो है। मामला नगर के पुरानी मंडी के बाहर की, सुतरेटी चौराहें की व महिला विकास विभाग के बाहर दुकानों की 56 दुकानों की बंदरबाट की हो या फिर ठेकेदारी से करवाये गए काम की हो बीती नगर परिषद ने हर अवसर को जमकर भुनाया आखिर आत्मविकास भी जनता का ही विकास है। चलो एक बार फिर चुनाव आने वालें है नगर की जनता सब कुछ भुलाकर फिर एक नई आस में नई परिषद का चुनाव करेगी व समाजसेवी लोग जनता की सेवा के लिए काबिल ईमानदार व साफ सुथरी छवि लेकर पार्षद बनने को लाखों खर्च करने के लिए तैयार रहेंगे। ये अलग बात है कि वे इन लाखों रुपए से सीधें जनता की सेवा कर सकते है और फिर जनता कि सेवा के लिए कोई पार्षद बनना जरूरी तो नही। यदि आपके आसपास भी कोई चुनाव लड़ने की बात करें तो उन्हें चंदू – कालू मत समझ लेना हो सकता है वे इस मामले में सीरियस हो और वास्तव में आपकी सेवा करने को बेताब हो … शुरुआत में तुम भी उनसे चाय पी लेना जिससे मामला बराबरी पर ठहर जाए।
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प्रधान संपादक
पत्रकार – 30 वर्षों से निरंतर सक्रिय होकर – नेशनल न्यूज के मैनेजिंग डायरेक्टर, सोशल मीडिया फाउण्डेशन के राष्ट्रीय प्रवक्ता भी है। आप वर्तमान समय में प्रदेश की सकारात्मक पत्रकारिता करते हुए शासन प्रशासन के तीखे आलोचक बनकर जनता की मूलभूत समस्याओं को प्राथमिकता से उठाते हुए उसका निराकारण करवाने के लिए प्रतिबद्ध है। जीवदया अभियान के राष्ट्रीय संयोजक होकर समाजसेवा में रुचि रखते है।