नगर में चारों तरफ चर्चा चलों चुनाव लड़ते है – लड़वाते है ….

नगर में चारों तरफ चर्चा चलों चुनाव लड़ते है – लड़वाते है ….
पवन नाहर – 9424567444
थांदला। हमारें मुंगेरीलाल आजकल नगर में जनता की थाह लेने आये हुए है। वे हर गली नुक्कड़ पर चाय की चुस्की लेते तो पान गुटखा दबाते हुए अपने कानों को चौकन्ना किये हुए है।
नगर के सबसे व्यस्ततम पिपली चौराहा पर एक तरफ गणपति बप्पा बिराजे है तो दूसरी तरफ चाय व पान की दुकानों पर चुनावी चौपाल लग रही है जिसमें हर कोई चुनाव पर चर्चा कर रहा है। कोई कहता है तू लड़ ले तो कोई कहता है तू किसे लड़वा रहा है। मतलब सेवा के लिए लड़ना जरूरी हो गया है।
गौरतलब है कि विगत पाँच वर्षों में भाजपा के कामकाज नील बटे सन्नाटा रहे। 56 दुकानों की बंदरबाट व ठेकेदारों से कमीशनखोरी के किस्सों ने भी खूब सुर्खियां बटोरी वही नगर के विनाश कार्यों के खिलाफ पत्रकारों व नगर की जनता ने धरना दिया फिर भी सबसे ज्यादा दावेदारों की फेहरिस्त उनके ही पालें में है वही कांग्रेस भी अपना दम दिखाने को बेताब है। यह अलग बात है कि इस बार जनता नगर के विकास पर अच्छे चेहरों पर अपना समर्थन जाहिर करती है या फिर वही डफली राग की कहावत चरितार्थ हो जाये कुछ कहा नही जा सकता। कांग्रेस ज़िलें में पंचायत चुनाव परिणामों के बाद उत्साहित नजर आ रही है लेकिन उसके पास यूथ की कमी स्पष्ट देखी जा सकती है, फिर भी वह अपने चुनावी चणक्यों के भरोसे चुनाव में हर दाव आजमाने को बेताब नजर आ रही है। जातीय समीकरण से लेकर विजयी प्रत्याशियों के चयन में एक बार फिर दोनों पार्टी के सक्रिय कार्यकर्ता मूर्ख बनकर धराशाही होते दिखाई दे रहे हैं, जिसका कारण उनके जन समर्थन का आभाव है। यदि पार्टी ऐसा सोचकर केवल दबंग व प्रभुत्व वालें प्रत्याशियों को ही मैदान में उतरती रही तो पार्टी के समर्पित कार्यकर्ताओं को कब टिकट मिलेगी यह विचारणीय है।
थांदला में 12 तारीख नामांकन जमा करने की अंतिम तिथि है लेकिन अभी तक दोनों ही प्रमुख दलों ने अपने पत्ते नही खोलें है ऐसे में स्थिति दुविधाओं से भर गई है। ऐसा माना जा रहा है कि दोनों ही दल एक दूसरे के प्रत्याशियों के अनुसार अपना निर्णय लेना चाहती है। इस बार 15 वार्डों में दो प्रमुख दलों में सीधा मुकाबला न होकर कुछ बागी तो कुछ अच्छे चेहरे भी अपना भाग्य आजमा सकते है, ऐसे में यदि जनता दल से परे अच्छे उम्मीदवारों को अपना वोट रूपी समर्थन देती है तो निश्चित जनता का भला होगा और नगर का विकास भी सम्भव है।
मुंगेरीलाल के सपने हसीन होते है वे नगर का विकास देख रहे है, हर तरफ चर्चा भी जोरों पर रही कि पिछली बार की परिषद ने सबकी उम्मीदों पर जमकर पानी फेरा फिर भी वे आज समाजसेवी के रूप में तटस्थ खड़े है तो इस बार जनता को ही सोचना है कि उन्हें भी बिकना पसन्द है या फिर नगर के विकास को गढ़ना …।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *