आदिवासी समाज में अक्सर अपने कुल देव व परिवार के गातलों पर की बलि दी जाती है पर लम्पी वाइरस के चलते पशु हाट-बाजार बंद होने से बकरें व मुर्गे भी नहीं मिल रहै है

आदिवासी समाज में अक्सर अपने कुल देव व परिवार के गातलों पर की बलि दी जाती है पर लम्पी वाइरस के चलते पशु हाट-बाजार बंद होने से बकरें व मुर्गे भी नहीं मिल रहै है
प्रशासन हाट-बाजार में मुर्गे व बकरें के बिक्री चालु करें ताकि नवरात्रि में मन्नतधारी अपनी मन्नत पूरी कर सकें।
सारंगी से धर्मेंद्र प्रजापति की रिपोर्ट 
झाबुआ में आदिवासी समाज अक्सर अपने कुल देव और परिवार के गातलों पर मन्नत उतारने के लिए मन्नतधारीयों की मन्नत पूरी होने पर बकरें व मुर्गे की बलि देते आ रहे हैं और इस समय लम्पी वाइरस के चलते पशु हाट-बाजार प्रतिबंधित होने के कारण हाट-बाजार में बकरें व मुर्गे भी बिकने के लिए नहीं आ रहें हैं और ऐसे में मन्नतधारि मायुस है कि आखिर उनकी मन्नत उतारने के लिए बकरे व मुर्गे कहां से खरीद पाएंगे क्योंकि साप्ताहिक पशु हाट-बाजार प्रतिबंधित है और प्रतिवर्ष ग्राम पंचायत मांडन में भेरुजी का प्रसिद्ध देव स्थान है ग्राम पंचायत जामली में सिंह देवि का प्रसिद्ध स्थान है ग्राम पंचायत मोहनकोट में नंदरमाता का प्रसिद्ध स्थान है और झाबुआ के आगे बाबा देव का प्रसिद्ध स्थान है और इन सभी स्थानों पर बली प्रथा चलती है और हर वर्ष सेकंडों की संख्या में मन्नतधारी नवरात्रि में अपने अपने परिजनों की लि गई मन्नत उतारनेके लिए बकरे व मुर्गे खरीद कर अष्टमी,नवमी व दशहरे पर बलि देकर मन्नत पूरी करते हैं इसलिए प्रशासन पशु हाट-बाजार में लम्पी वाइरस को देखते हुए गाय व भेंस और बेल पर प्रतिबंध रखें लेकिन बकरें व मुर्गे पशु हाट-बाजार में बिक्री में छुट प्रदान करें ताकि मन्नत उतारने वाले भी अपनी मन्नत उतार सकें।
नवरात्रि में अक्सर आम जन अपने एवं अपनों के लिए लि गई मन्नत उतारते हैं ।
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