बागी बिगाड़ेंगे अध्यक्ष – उपाध्यक्ष का खेल / भाजपा निर्दलीय प्रत्याशियों पर रही है मेहरबान

बागी बिगाड़ेंगे अध्यक्ष – उपाध्यक्ष का खेल
भाजपा निर्दलीय प्रत्याशियों पर रही है मेहरबान
पवन नाहर (PN voice news room) – 9424567444
थांदला। अनुशासन के लिए जानी जाने वाली भारतीय जनता पार्टी हमेशा से अपने ही भीतर घात करने वालों पर मेहरबान रही है। केंद्र या प्रदेश में अगर ऐसा नही है तो इस अंचल झाबुआ में तो हमेशा से देखने में आया है। यहाँ पार्टी के चुनाव चिन्ह कमल के फूल से ज्यादा व्यक्ति महत्वपूर्ण हो जाता है, जिसका कारण सत्ता ही है। विगत समय में पार्टी से ही बगावत करने वालें नेताओं को मण्डल स्तर पर ज़िलें स्तर पर क्षेत्र स्तर पर ही नही अपितु प्रदेश स्तर के पदों से भी नवाजा गया है। ऐसे में सत्ता के गलियारों में वर्तमान नगर परिषद भी अछूती नही रह सकती।
वर्तमान नगर परिषद में भाजपा को भाजपा के बागियों ने ही बुरी तरह से पटखनी दी ऐसे में भाजपा के वरिष्ठ पदाधिकारी उन पर कार्यवाही करने के बजाए उनके ही दम पर सत्ता हासिल करने की जुगत में है। वास्तव में नगर परिषद में पार्टी से ज्यादा व्यक्ति ने अपने दम पर ही जीत हासिल की है जिससे उनके भी हौसलें बुलंद है, फिर उनके द्वारा चुनाव जीतने में लगा पैसा भी उनके लिए अनेक विकल्प खोल कर रखे हुए है फिर भूतकाल में बागियों को उपकृत करने का आत्मविश्वास भी उन्हें आगे बगावत करने के लिए तैयार कर रहा है, कुछ इसी उहापोह में उलझी भाजपा ने शायद इसी वजह से अभी तक बागियों पर कोई बड़ी कार्यवाही नही की।

इस बार भाजपा के पास यदि बागियों के साथ को छोड़ दिया जाए तो भी पूरा बहुमत है, लेकिन उसे डर है कि कही अध्यक्ष के खेल को ये बागी ही न बिगाड़ दे लेकिन उसकी इस चुप्पी से उपाध्यक्ष की दौड़ में भी यदि कोई भाजपा का बागी मैदान में उतर जाता है तो कोई आश्चर्य की बात नही। वैसे भी नगर में भाजपा के अध्यक्ष पद के तीनों दावेदार सशक्त है वही उपाध्यक्ष की दौड़ में ही दो से ज्यादा ही नाम है ऐसे में गुटबाजी में फंसी भाजपा के लिए किसी एक पर आम सहमति बनना थोड़ा मुश्किल जरूर नजर आ रहा है।
धापू वसुनिया के साथ वर्तमान समय में 2-3 पार्षद हो सकते है वही लीला डामोर के साथ भी 5-6 पार्षद माने जा रहे है तो तीसरे उम्मीदवार लक्ष्मी पाणदा के साथ 6 पार्षद धार्मिक यात्रा पर होने से स्थिति स्पष्ट है कि वे भी मैजिक आंकड़े के निकट जरूर है लेकिन उससे एक कदम वे भी दूर ही है। ऐसे में भाजपा को बागियों के सहारे की आवश्यकता लगेगी तो बागी भी पार्टी द्वारा उन्हें टिकट नही दिए जाने की उपेक्षा से कुछ सौदेबाजी करें तो कोई आश्चर्य की बात नही। यदि भाजपा ऐसे ही पार्टी से बगावत करने वालों पर मेहरबान होती रही और उन्हें निष्ठावान कार्यकर्ताओं व पदाधिकारियों के सिर पर बिठाती रही तो आने वालें समय में पार्टी से बगावत करने वालों की फेहरिस्त बढ़ती जाएगी। फिलहाल देखना है कि आगामी 18 को कितने बागी अध्यक्ष का खेल बिगाड़ते है और कितने उपाध्यक्ष के लिए बागी बनकर खड़े हो जाते है यहाँ उनके लिए कांग्रेस के पार्षद भी अपना समर्थन दे दे तो यह भी कोई नई बात नही।

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