शत्रुंजय तीर्थ पर भगवान आदिनाथ की नवाणु यात्रा कर लौटें थांदला के बाल तपस्वी – अनुमोदना में 13 जनवरी को निकलेगा वरघोड़ा
पवन नाहर थांदला।
थांदला। अहिंसा व तपस्या प्रधान जैन धर्म के आदि करने वालें प्रथम तीर्थंकर भगवान आदिनाथ ऋषभदेव के मोक्ष कल्याणक अतिशय क्षेत्र पालीताना शत्रुंजय महातीर्थ के नाम से प्रसिद्ध है। यहाँ पर साधना करते हुए अनेक आत्माओं ने मोक्ष प्राप्त किया है। कहते है कि भगवान आदिनाथ ऋषभदेव ने इस तीर्थ भूमि को 99 बार पावन किया है तभी से नवाणु यात्रा का जैन धर्म में बहुत महत्व होता है। अत्यंत कठिन इस यात्रा में शक्ति अनुसार उपवास एकासन तप के साथ संयमी जीवन पालन करते हुए नंगे पैर 99 बार शिखर तक जाया जाता है, जो तलहटी से करीब 220 फिट ऊँचाई पर स्थित होकर तपस्वी यात्रियों को 3950 सीढ़ियों की चढ़ाई करनी पड़ती हैं।
थांदला के बाल तपस्वी जीनल चंचल भंडारी, दीक्षा नितेश पोरवाल व वेदांत ललित मोदी ने वहाँ विराजित संत श्री चन्द्रेशविजयजी म.सा. की पावन निश्रा में रहकर करीब 36 दिनों में अपनी नवाणु यात्रा पूर्ण की। इस दौरान तीनों तपस्वियों ने एकासन तप की आराधना भी की वही दो दिन तक निर्जल चौविहार उपवास कर छठ यात्रा भी पूर्ण की। तीनों बाल तपस्वियों के द्वारा कठिन तपस्या के साथ नवाणु यात्रा पूर्ण करने पर थांदला में भण्डारी, पोरवाल व मोदी परिवार द्वारा तपस्वियों की अनुमोदन में 13 जनवरी शुक्रवार को तीनों ही तपस्वियों का प्रातः 9 बजे नयापुरा स्थित भगवान ऋषभदेव मन्दिर से वरघोड़ा निकाला जाएगा जो नगर के मुख्य मार्ग से होता हुआ निजी स्थान पर समाप्त होगा जहाँ तपस्वियों के पग पक्षाल किया जाएगा दोपहर में महावीर भवन पर चौवीसी का आयोजन होगा। इस दौरान तप अनुमोदना में शामिल सभी श्रीसंघ के सदस्यों का आनन्दीलाल शैतानलाल पोरवाल, कनकमाल मिश्रीमल भंडारी एवं अनोखीलाल सागरमल मोदी परिवार द्वारा स्वामी वात्सल्य रहेगा।
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