भरत भाई ने ग्रहण किया तिविहार संथारा निखिशीलाजी म.सा. ने साधक सह संघ परिजन की सहमति से करवाये प्रत्याख्यान

भरत भाई ने ग्रहण किया तिविहार संथारा
निखिशीलाजी म.सा. ने साधक सह संघ परिजन की सहमति से करवाये प्रत्याख्यान
थांदला। जिन शासन में हर उपासक का अंतिम मनोरथ न जीवन से प्यार न मरने से भय रूप पंडित मरण का होता है। जिन आगम में अंतिम मनोरथ रूप पंडित मरण (संथारा) का परम सुख रूप फल बताया गया है जिसे पाने अनेक आत्म साधक पूरे जीवन भर अंतिम मनोरथ सिद्ध करने साधना आराधना व तपस्या करते रहते है। थांदला नगर का परम सौभाग्य है कि यहाँ जिन शासन गौरव जैनाचार्य पूज्य श्री उमेशमुनिजी म.सा. की कृपा पात्र एवं बुद्धपुत्र पूज्य श्री जिनेन्द्रमुनिजी म.सा. के आज्ञानुवर्ती महासती पूज्या श्री निखिलशिलाजी म. सा. दीर्घकाल से यहाँ माताजी म.सा. की सेवा में विराजित है जिसका लाभ सकल संघ को मिल रहा है। आज उन्ही के मुख़ारबिंद सें संथारा साधक धर्मनिष्ठ सुश्रावक
श्री भरत भाई खिवेसरा (लिमड़ी वाले) को निरंतर छठे उपवास में तिविहार संथारे के प्रत्याख्यान करवा दिए गए अब से वे केवल दिन में ही गर्म जल अथवा राख युक्त धोवन पानी का ही सेवन करेंगेंl श्री भरत भाई लंबे समय से संत विहार सेवा में जाते रहे है ऐसे में उनके मन में उमड़ते धर्म संस्कार व गुरु का आशीर्वाद का प्रतिफल ही कहा जा सकता है कि उनके अंतिम समय में पंच महाव्रतधारी चारित्र आत्मा के द्वारा संथारा ग्रहण करने को मिला वही थांदला सकल जैन संघ उनके सरदार पटेल मार्ग पर व्यवसायी मणिलाल नागर के घर के सामने उनके बड़े भाई अभय खिवेसरा के यहां जाकर उनके दर्शन लाभ लेते हुए उन्हें नवकार महामंत्र, मांगलिक, स्तवन भजन आदि सुना कर आराधना में सहयोग कर रहे है। संघ अध्यक्ष भरत भंसाली ने भी उनके अंतिम मनोरथ सिद्ध होने की मंगल भावना के साथ सकल संघ से उन्हें धर्म सहयोग देने की अपील की है।

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