श्रीमद भागवत कथा में शंकराचार्य ज्ञानानंदजी ने दिया जीवन दर्शन

श्रीमद भागवत कथा में शंकराचार्य ज्ञानानंदजी ने दिया जीवन दर्शन

“मनुष्य शरीर मिलना दुर्लभ है, ईश्वर भक्ति से बनाएं इसे सार्थक” – शंकराचार्य ज्ञानानंदजी

मानव जीवन का उद्देश्य आत्मा की शुद्धि और परमात्मा की प्राप्ति है। श्रीमद भागवत कथा के माध्यम से हम इसे समझ सकते हैं – ट्रस्ट अध्यक्ष व विधायक डॉ राजेन्द्र पांडेय 

   जावरा (राजकुमार हरण)। श्री गीता भवन ट्रस्ट जावरा द्वारा आयोजित सात दिवसीय श्रीमद भागवत ज्ञान गंगा कथा महोत्सव में जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी ज्ञानानंदजी तीर्थ ने भक्तों को ज्ञान का अमृतपान कराया। उन्होंने कहा कि “मनुष्य शरीर मिलना अत्यंत दुर्लभ है, आत्मा और परमात्मा को जानने के लिए ही यह शरीर मिला है। मृत्यु के समय हमारे विचार और संग अगला जन्म तय करते हैं। इसलिए इस अमूल्य जीवन को ईश्वर की भक्ति और तपस्या में लगाएं।”

      शंकराचार्यजी ने यह भी कहा कि संध्या समय सोना दरिद्रता, जड़ता और बुद्धि खंडित होने का कारण बनता है। संध्या समय गर्भाधान से दूषित संतान उत्पन्न होने की संभावना रहती है। उन्होंने जीवन को सार्थक बनाने के लिए तप और आराधना को जीवन का अभिन्न अंग बनाने पर जोर दिया।

पौथी पूजन और आरती का लाभ: कथा के तीसरे दिन पौथी पूजन का लाभ सेवानिवृत्त एसआई रामसेवक शर्मा, कृष्णकांतजी, बाबूलाल निम्बे और गोपाल सेठिया ने लिया। शाम की आरती में ट्रस्ट अध्यक्ष एवं विधायक डॉ. राजेन्द्र पांडेय, नपा उपाध्यक्ष सुशील कोचट्टा, कालूराम हरा, भाजपा मंडल अध्यक्ष मांगीलाल पांचाल, आनंद गर्ग, अभय सुराणा और देवेन्द्र चौहान सहित अन्य भक्तों ने सहभागिता की।

    आरती उपरांत प्रसादी वितरण किया गया, जिसमें बहादुरसिंह पंवार, बालाराम सेजावता, दिलीप त्रिवेदी, रमेश व्यास और किशन महाराज ने लाभ लिया।

आयोजन में प्रमुख उपस्थिति: इस अवसर पर गीता भवन ट्रस्ट के अध्यक्ष डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय, सचिव अशोक सेठिया, गीता सह-संयोजक कैलाश नारायण विजयवर्गीय, आयोजन समिति के सदस्य हरिनारायण अरोड़ा, डॉ. शैलेन्द्र पांडेय, मोहन पटेल, राजेन्द्र श्रोत्रिय और प्रकाशचंद्र खंडेलवाल उपस्थित थे। संत सेवा समिति से दशरथ कसानिया, मनोहर पांचाल, जगदीश कुमावत, दिलीप हेमावत, विनोद अग्रवाल, मनोहर सिंह चौहान ने भी कार्यक्रम में योगदान दिया। महोत्सव का संचालन गीता जयंती महोत्सव संयोजक अभिभाषक आई. पी त्रिवेदी ने किया।

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