2 हजार का नोट घूम रहा बाजार आश्रय नहीं दे रहा कोई दुकानदार
ब्लैक मनी पकड़ने से चूक गई सरकार – पवन नाहर
बैंक में केश की कमी व्यापारी भी 2 हजार का नोट लेने से कर रहे मना
प्रधान संपादक पवन नाहर
थांदला। क्या जुर्म था हमारा जो खफा हो गये, तुम मिले भी नहीं और जुदा हो गये। गरीब मध्यमवर्गीय परिवार तो अभी 2 हजार के नोट का ठीक से दीदार भी नही कर सके होंगे और आरबीआई व मोदी सरकार ने महज 6 वर्षों में ही 2 हजार नोट की विदाई तय कर सबको चौका दिया। अस्पष्ट तौर पर सरकार ने 2 हजार के नोट वापस लेने का एलान क्या कर दिया व्यापारियों का भरोसा ही 2 हजार के नोट से उठ गया। मोदी सरकार द्वारा 500 व 1000 रुपये की नोट बंदी के बाद 10 नवम्बर 2016 को 2000 रुपये का नोट बाजारों में चलन में आया था जो कुछ ही समय में बड़े सेठों की तिजोरियों में जमा हो गया और बाजारों से गायब हो गया था। ऐसे में काला बाजारी पर रोक व अर्थ व्यवस्था को संभालने (बैंकों में पैसा जमा होने) के उद्देश्य को लेकर शासन प्रशासन के नोट वापसी के लिए बिना आधार हैरत भरें फैसलें के बाद लम्बे समय बाद 2000 रुपये के नोट बाजारों में घूमते हुए दिखाई दे रहे है लेकिन अब कोई भी व्यापारी इन्हें आश्रय नही दे रहा है। खास बात यह है कि मार्केट में इसे लेकर घूमने वालें लोग कोई रसूखदार नही है ये तो सामान्य व मध्यम वर्ग की जनता है वही भिखारी, फेरी वालें व जड़ीबूटी बेचने वालें अन्य राज्यों के लोग भी है जिन्होनें अपने भविष्य की चिंता कर कुछ धन 2 हजार के नोट के रूप में संग्रहित कर लिया था जो अब डरें डरें से लग रहे है व इसे जल्द बाजारों में खपा देने की जल्दबाजी भी कर रहे है। धनी व बड़ा तबका अभी भी 2 हजार के नोट को लेकर खामोश है, उसे पता है समय पर्याप्त है व कैसे इससे निपटना है कि साँप भी निकल जाए और लाठी भी नही टूटे। वही बैंकों को एक साथ 10 नोट (20 हजार) तक बदलने के लिए किसी भी प्रकार के प्रमाण की जरूरत नही होने की आजादी से काला बाजारियों की बल्ले बल्ले हो गई। ऐसे में सरकार ने काला बाजारियों व ब्लैक मनी पकड़ने में बड़ी चूक कर दी यह बात जीव दया अभियान के राष्ट्रीय संयोजक जीवदया प्रेमी पवन नाहर ने कही। नाहर ने कहा कि जिस तरह से 2 हजार के नोट बदली का काम चल रहा है इससे तो रसूखदार की बन्द तिजोरियों के नोट आसानी से बैंक में न केवल पहुँच गए है अपितु बदले भी गए है जिसका प्रमाण राष्ट्रीयकृत बैंकों में रोजाना मनी क्राइसिस के रूप में देखा जा रहा है। यदि इनके पास ब्लैक मनी नही होती तो नोट बदली की जगह ये लोग सीधा अपने खातों में पैसा जमा करवा देते। नाहर ने कहा कि आये दिन बैंक में मनी कम होने कि समस्या देखी जा रही है जिसका कारण है बैंक में एक दिन में 100 के करीब लोग अपना 2 हजार के नोट के रूप में पड़ा काला-सफेद धन बदलवाने बैंक आते है ऐसे में कैशियर के लिए समस्या यह है कि वे अपने नियमित ग्राहकों द्वारा पेमेंट निकासी को महत्व दे या फिर नोट बदली करें। मोदी सरकार द्वारा पहले भी नोट बदली पर सवालिया निशान लगे थे वही उससे सबक न लेकर अथवा किसी डर की वजह से ही नोट बदली में प्रमाण को नजर अंदाज किया जाना भ्रष्टाचार को बढ़ावा ही दिया जा रहा है। आरबीआई के इस फैसले के चलते काला बाजारी व कालें धन को तो सरकार नही पकड़ पाएगी लेकिन फिर भी व्यापारियों में 2000 के नोट को लेकर भय स्पष्ट रूप से दिख रहा है ऐसे में वे फुटकर व छोटे व्यापारियों से 2 हजार के नोट लेने से इंकार कर रहे है वही कुछ व्यापारी 2 हजार के बदले 15 सौ का माल दे रहे है। ऐसे समय में थोक विक्रेताओं नें अपनी डूबती उधारी पटाने के लिए 2 हजार के नोट लेना स्वीकार कर लिया है जिससे बाजारों में लंबी मंदी के बाद रौनक भी दिखाई देने लगी है। यहाँ इस बात का जिक्र करना भी जरूरी हो जाता है कि आरबीआई 30 सितम्बर तक 2 हजार के नोट वापस लेगी लेकिन इसका चलन बन्द होगा या नही व ग्राहक अपने खातें में कब तक जमा करा सकता है इसे लेकर कोई स्पष्टीकरण नही आया है फिलहाल आरबीआई 2 हजार नोट अब जारी नही करेगा।
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