गर्मी में बैठी लाड़ली बहना आजीविका के लिए बेच रही आम।
प्रधान संपादक पवन नाहर
थांदला। मुख्यमंत्री लाड़ली बहना के माध्यम से महिलाओं के जितने भी दावें कर ले बढ़ती बेरोजगारी से निपटने के लिए भरी दोपहरी में लाड़ली बहनों को घर के कामकाज के साथ आजीविका के लिए भी काम करना ही पड़ रहा है। झाबुआ जिलें के हर विधानसभा क्षेत्रों में सब्जी बाजारों में तो मुख्य चौराहों पर अधिकांश महिला फल सब्जी व अन्य सामग्री बेचते आसानी से दिख जाएगी। ताजा तस्वीर थांदला के ह्रदय स्थल आजाद चौक की है जहाँ भौर होते ही आजद की प्रतिमा के चारों तरफ मामाजी की लाड़ली ग्रामीण बहनों द्वारा भरी दोपहरी तक छतरी के सहारे सीजनल आम बेचते हुए नजर आ जायेगी। तेज धूप व बदलते मौसम से इनके स्वास्थ्य पर असर पड़ रहा है लेकिन इन सबसे दूर बढ़ती महंगाई से निपटने इन्हें काम करना ही पड़ता है। चुनावी वर्ष में अनेक संगठन अपनी मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे है लेकिन लाडली बहनों की फरियाद मामाजी तक कौन कैसे पहुँचेगी यह बड़ा सवाल है। स्थानीय नगरीय प्रशासन को चाहिए कि सब्जी मंडी के साथ ही इस तरह के चौराहों पर बैठने वाली लाडली बहनों के प्रति संवेदनशील बनते हुए उन्हें सुविधा प्रदान करें।
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