राष्ट्र गौरव डॉ. इन्दु जैन ऋषभांचल पुरस्कार से हुई सम्मानित
डॉ. इन्दु ने प्राप्त सम्मान राशि बढ़ाकर 42 हजार की राशि जिनधर्म की प्रभावना में की समर्पित
जीवनलाल जैन नागदा की रिपोर्ट
झाबुआ। उत्तर प्रदेश के गाज़ियाबाद शहर में मेरठ रोड़ पर स्थित प्रसिद्ध जैन तीर्थ पर श्री ऋषभांचल स्थापना दिवस पर ऋषभांचल पुरस्कार समर्पण समारोह परम श्रद्धेया अभीक्ष्ण ज्ञानोपयोगी बाल ब्रह्मचारिणी माँ श्री कौशल जी के सानिध्य एवं आशीर्वाद से 26 मई 2024 को सम्पन्न हुआ। समारोह में राष्ट्रीय – अंतर्राष्ट्रीय रूप में जैनधर्म का प्रतिनिधित्व करने वालें, जैनधर्म-दर्शन-संस्कृति,प्राकृत-अपभ्रंश, संस्कृत-हिन्दी भाषा, ब्राह्मी लिपि, शाकाहार तथा भारतीय संस्कृति के संरक्षण-संवर्धन में निरंतर अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए एवं नवीन संसद भवन के भूमि पूजन-उद्घाटन समारोह में आयोजित सर्वधर्म प्रार्थना सभा में जैनधर्म का गौरवपूर्ण प्रतिनिधित्व करने के लिए जैनदर्शन के प्रसिद्ध विद्वान प्रो. फूलचंद जैन प्रेमी की सुपुत्री एवं समाज सेवी राकेश जैन की जीवन संगिनी, जिनधर्म रक्षक की संस्थापिका राष्ट्र गौरव डॉ. इन्दु जैन को ऋषभांचल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। समारोह में मुख्य अतिथि दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति डॉ. सुधीर कुमार जैन, स्वागताध्यक्ष प्रदीप जैन, अध्यक्ष अतुल जैन, कार्याध्यक्ष जीवेन्द्र जैन, पुरस्कार प्रदाता एवं उपाध्यक्ष हेमचंद जैन, महामंत्री आर.सी.जैन एवं मुकेश जैन, विद्वान् प्रो. वीरसागर जैन, प्रतिष्ठाचार्य जय कुमार निशांत, स्वदेश कुमार जैन, राकेश जैन, पुनीत जैन, सुधीर जैन, अनिल जैन, वीजेंद्र जैन आदि व माँ श्री कौशल जी की गरिमामय उपस्थिति में डॉ. इन्दु जैन को ऋषभाँचल पुरुस्कार के तहत प्रशस्ति पत्र के साथ 21 हज़ार की सम्मान राशि प्रदान की। डॉ. इन्दु ने अपने वक्तव्य में जैन समाज का आभार व्यक्त करते हुए प्राप्त हुई 21 हज़ार रुपये की सम्मान राशि में अपनी ओर से 21 हज़ार और मिलाकर कुल 42 हज़ार रुपए जिनधर्म प्रभावना के लिए समर्पित करने की घोषणा कर उदारता का परिचय दिया। इस विशेष आयोजन में अन्य विविध क्षेत्रों में भी कुछ विशेष व्यक्तियों को निर्धारित पुरस्कार दिए गए। कार्यक्रम के अंत में मां श्री कौशल ने अपने प्रवचन में तीर्थंकर आदिनाथ भगवान की महिमा का वर्णन करते हुए कहा कि पूरे विश्व को असि, मसि, कृषि, विद्या, वाणिज्य, शिल्पकला आदि 72 कलाओं का ज्ञान राजा ऋषभदेव ने दिया, अपनी पुत्रियों को ब्राह्मी लिपि और अंक विद्या (गणित) सिखाकर महिला शिक्षा का प्रथम उद्घोष किया और राजा ऋषभदेव द्वारा प्रारम्भ अक्षर और अंक कला का विकास निरंतर हो रहा है। उन्होंने कहा कि हिन्दू परम्परा के प्राचीन पुराणों, ग्रंथों में लिखा है कि ऋषभदेव के ज्येष्ठ पुत्र चक्रवर्ती सम्राट भरत के नाम से अपने देश का नाम भारत पड़ा। हम सभी को भारत की मूल श्रमण जैन संस्कृति की प्रभावना में ही अपना जीवन समर्पित करना चाहिए। इस अवसर पर वहां उपस्थित सभी गणमान्य लोगों ने सभी सम्मानित विभूतियों को बधाइयां देते हुए उनके यशस्वी जीवन की शुभकामनाएं व्यक्त की।

प्रधान संपादक
पत्रकार – 30 वर्षों से निरंतर सक्रिय होकर – नेशनल न्यूज के मैनेजिंग डायरेक्टर, सोशल मीडिया फाउण्डेशन के राष्ट्रीय प्रवक्ता भी है। आप वर्तमान समय में प्रदेश की सकारात्मक पत्रकारिता करते हुए शासन प्रशासन के तीखे आलोचक बनकर जनता की मूलभूत समस्याओं को प्राथमिकता से उठाते हुए उसका निराकारण करवाने के लिए प्रतिबद्ध है। जीवदया अभियान के राष्ट्रीय संयोजक होकर समाजसेवा में रुचि रखते है।