जाते जाते भी दो जिंदगी को रोशन कर गई सुश्राविका शकुंतला छिपानी

जाते जाते भी दो जिंदगी को रोशन कर गई सुश्राविका शकुंतला छिपानी
समाजजनो ने दी हार्दिक श्रद्धांजलि
संवाददाता बनने के लिए सम्पर्क करें – पवन नाहर
थांदला। अपनी जिंदगी में किसी के काम आने का कोई अवसर जो व्यक्ति पूरे जीवन निभाता है वह अपनी सहधर्मिणी के असामयिक निधन पर उसकी मानव कल्याण रूपी भावनाओं को भी निभाता है। बरसों जिसके साथ धर्म व समाज के विभिन्न सपनों को साकार किया उसके अचानक चले जाने के पहाड़ जैसे दारुण दुःख की विकट व विषम परिस्थितियों में भी अपने आप को धैर्यपूर्वक संतुलित रखकर अपनी धर्मपत्नी की भावना रूप मृत्युपरांत नेत्रदान का निर्णय लेना अपने आप में बेजोड, प्रेरक और समसामयिक जागरूक कदम है। मानव सेवा को समर्पित जीवन निभाने वालें समाजसेवी जैन समाज के वरिष्ठ सदस्य विनय कुमार छिपानी की घर्मपत्नी श्रीमती शकुंतला छिपानी का लंबी बीमारी के चलते इंदौर में निधन हो गया। आप समाजसेवी यतीश की भाभीजी, नितेश, अभिलेष की पूज्य मातुश्री, वैभव की बड़ी मम्मी संयम, अर्हम, गोयम, इशीत, ध्रुवित की दादी थी। उनका थांदला स्वर्ग वाटिका पर अंतिम संस्कार किया गया जिसमें परिजनों के अलावा जैन समाज सहित अन्य समाज के अनेक महानुभावों ने उपस्थित होकर उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए इस दुखद घड़ी में भी परिजनों ने उनके नेत्रदान कर दो अंधेरी जिंदगी को रोशन करने की सेवा भावना की अनुमोदना की। श्रीमती छिपानी का जीवन धर्ममय रहा है वे प्रतिदिन उभयकल प्रतिक्रमण करती थी वही नित्य सामायिक, मंदिर जाकर परमात्मा की पूजा के साथ पर्युषण पर्व पर नागेश्वर तीर्थ पर रहकर धर्म आराधना का उनका क्रम अंत समय तक चलता रहा। इंदौर के प्रसिद्ध एम के इंटरनेशनल आई बैंक के आई टेक्नीशियन श्रीमती निवेदिता गोयल और देवेंद्र ठाकुर द्वारा श्रीमती शकुंतला छिपानी के नेत्रदान कार्य संपन्न कराया गया। उन्होंनें बताया कि शकुंतला जी की दोनों कॉर्निया 72 घंटे में ट्रांसप्लांट होकर अंधत्व से ग्रसित 2 व्यक्तियों को अंधेरी दुनिया रोशन हो जाएगी। नेत्रदान सहमति हेतु विनयजी छिपानी को संस्था का सर्टिफिकेट देकर अभिनन्दन भी किया गया। उल्लेखनीय है कि थांदला निवासी विनय छिपानी विगत कुछ वर्षों से इंदौर शहर में रहकर सेवा कार्य कर रहे है उनके द्वारा हिंसा रहित आयुर्वेदिक उपचारों से सैकड़ों साधु संतों की वैयावच्च हुई है व साधर्मिक बंधुओं को लाभ मिला है। वही छिपानी ने तकरीबन 4850 लोगों से नेत्रदान, अंगदान व देहदान के संकल्प पत्र भवाकर उन्हें मानव सेवा से जोड़ा है जो उनकी धर्मपत्नी के सहयोग के बिना अधूरा है।

 

 

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