श्री गुरु तेग बहादर साहिब जी का अवतार पूरब दिवस 18 अप्रैल को

श्री गुरु तेग बहादर साहिब जी का अवतार पूरब दिवस 18 अप्रैल को
उज्जैन : तिलक,जनेऊ के राखे और हिंद की चादर के नाम से पहचाने जाने वाले सिखों के नवम गुरु श्री गुरु तेग बहादर जी का अवतार पूरब 18 अप्रैल को मनाया जाएगा।
गुरुद्वारा सुख-सागर के अध्यक्ष चरणजीत सिंह कालरा ने बताया कि तिलक,जनेऊ के राखे और हिंद की चादर के नाम से पहचाने जाने वाले सिखों के नवम गुरु श्री गुरु तेग बहादर जी का अवतार पूरब 18 अप्रैल को मनाया जाएगा। श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी में श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी द्वारा उच्चरित बाणी 15 रागों में दर्ज है उनकी बाणी के 59शब्द और 57 (श्लोक) सलोक है। गुरु जी के श्लोक श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी में 1426 से लेकर 1429 तक सुशोभित है l 
     सुरेंद्र सिंह अरोरा ने बताया कि श्री गुरु तेग बहादर साहिब जी की रचित बाणी का मुख्य पक्ष मानव को सांसारिक मोह माया से छुटकारा दिलाकर परमात्मा की स्तुति में लगाना है ।tश्री गुरु तेग बहादुर जी की बाणी का केंद्रीय भाव यह है की एकमात्र परमात्मा ही सत्य है शेष जो भी दृश्यमान है ,संसार और शरीर नश्वर है संपत्ति और संबंध माया है। माया आध्यात्मिकता के मार्ग की सबसे बड़ी बाधा है।
     सिख समाज के संभागीय प्रवक्ता एस एस नारंग ने बताया कि गुरुदेव जी ने अपनी बाणी में कहा है कि परमात्मा सृष्टि का रचयिता है । दुख भंजक है, तारणहार है ,अनाथो का नाथ है ,अपार ,अलख और निरंजन है। उसकी गति कोई नहीं जानता यह एक रंगी भी है और बहुरंगी भी। वह दाता है, रक्षक है, अंग संग सहायक है। परमात्मा मनुष्य के शरीर में आत्मा के रूप में विद्यमान है जैसे पुष्प मैं सुगंध और दर्पण में प्रतिबिंब है। मानव जन्म दुर्लभ है, अमूल्य है, शरीर मिथ्या है, क्षणभंगुर है,संसार ,मिथ्या और नश्वर है, संसार एक सपना है बालू की दीवार बादल की छाया है, पानी का बुलबुला है, मृगतृष्णा है। गुरु तेग बहादुर जी का जीवन धर्म और भक्ति के विभिन्न रंगों का ऐसा अद्भभूत समन्वय है जिनके दर्शन करना मन को असीम आनंद से भर देने वाला और परमात्मा की आकथ्य महानता से अभिभूत कर देने वाला है।श्री गुरु तेग बहादुर जी सहज और संयम के जिस प्रकाश स्त्रोत के रूप में उभरते हैं उस की चमक सदैव एक समान बनी दिखाई देती है यह प्रकाश ना कभी मध्म हुआ है ना कभी तीव्र। सूर्य जो सारे संसार को प्रकाशित करते हैं वह भी उदय और अस्त होता है उसकी किरणों की अपनी गति होती है जिसके अनुसार प्रकाश कम या अधिक होता है श्री गुरु तेग बहादुर जी का संसार में आगमन कभी ना अस्त होने वाले भक्ति के सूर्य के उदय होने जैसा था।
गुरुद्वारा सुख सागर के प्रभारी दलजीत सिंह गांधी ने बताया कि गुरु जी के अटूट लंगर का भी वितरण होगा।

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