दशहरे पर नहीं होता है रावण दहन,रावण की देवताओं की तरह होती है पूजा         

दशहरे पर नहीं होता है रावण दहन,रावण की देवताओं की तरह होती है पूजा         
दक्ष चोपड़ा                                                          उज्जैन :देश में सभी जगह दशहरा पर्व पर रावण दहन किया जाता है पर उज्जैन के बड़नगर का एक ऐसा गांव चिकली जहां रावण को पूजा जाता है ओर रावण दहन नहीं किया जाता है।चिकली में दशहरा पर्व पर रावण दहन नहीं किया जाने के पीछे का कारण यह है कि यहाँ के लोग रावण को एक महान विद्वान और धर्मपरायण राजा मानते हैं। उनका मानना है कि रावण ने भगवान राम के खिलाफ युद्ध किया था, लेकिन उसने अपने धर्म और कर्तव्य का पालन किया था,साथ ही ये भी मान्यता है कि यदि रावण को पूजा नहीं गया तो पूरा गांव जलकर भस्म हो जाएगा। इसीलिए नवरात्र में दशमी के दिन पूरा गांव रावण की पूजा में लीन हो जाता है। इस दौरान यहां रावण का मेला लगता है और दशमी के दिन राम और रावण युद्ध का भव्य आयोजन होता है। पहले गांव के प्रमुख द्वार के समक्ष रावण का एक स्थान ही हुआ करता था, जहां प्रत्येक वर्ष गोबर से रावण बनाकर उसकी पूजा की जाती थी लेकिन अब यहां रावण की एक विशाल मूर्ति है।इसलिए चिकली में दशहरा पर्व पर रावण दहन की जगह रावण की पूजा की जाती है। चिकली में दशहरा पर्व पर रावण की शोभा यात्रा निकाली जाती है, जो कि एक अनोखी और रोचक परंपरा है। इस अवसर पर रावण की मूर्ति की पूजा की जाती है और उसकी याद में भजन और कीर्तन किए जाते हैं। यह परंपरा चिकली में कई वर्षों से चली आ रही है और यहाँ के लोगों के लिए यह एक महत्वपूर्ण त्योहार है।इस परंपरा को देखने के लिए लोग बड़ी संख्या में इकट्ठा होते हैं और रावण की मूर्ति को देखकर अपनी श्रद्धा और सम्मान प्रकट करते हैं।बाबूभाई रावण यहाँ के पुजारी हैं। रावण की पूजा-पाठ करने के कारण ही उनका नाम बाबूभाई रावण पड़ा है। इनका कहना है कि मुझ पर रावण की कृपा है। गाँव में जो भी विपत्ति आती है तो मुझे रावण के सामने अनशन पर बैठना होता है। जैसे यदि गाँव में पानी नहीं गिरता है तो मैं अनशन पर बैठ जाता हूँ तो तीन दिन में जोरदार झमाझम बारिश हो जाती है। गांव के लोगों का कहना है कि यहाँ रावण की ही पूजा होती है। पूजा करने की परम्परा वर्षों पुरानी है। एक वर्ष किसी कारणवश रावण की पूजा नहीं की गई थी और न ही मेला लगाया गया था तो पूरे गाँव में अकस्मात आग लग गई थी, ‍मुश्किल से सिर्फ एक घर ही बच सका था।

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