वक़्फ़ संशोधन विधेयक: पारदर्शिता और जवाबदेही की ओर एक सशक्त कदम
उज्जैन। भारत की संसद द्वारा पारित “यूनाइटेड वक़्फ़ मैनेजमेंट एम्पॉवरमेंट, एफिशिएंसी एंड डेवलपमेंट एक्ट 1995” में किया गया संशोधन, धार्मिक संस्थाओं के संचालन में पारदर्शिता, उत्तरदायित्व और अनुशासन स्थापित करने की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल है।
वर्ल्ड हिंदू फेडरेशन के प्रदेश अध्यक्ष श्री संजय अग्रवाल ने इस विधेयक का स्वागत करते हुए कहा है कि “यह संशोधन किसी धर्म के विरुद्ध नहीं, बल्कि सुशासन और पारदर्शिता के पक्ष में है।”
उन्होंने कहा कि देश में वक़्फ़ संपत्तियों की संख्या लाखों में है, किंतु इनके प्रबंधन में वर्षों से अनियमितता, दुरुपयोग और राजनीतिक संरक्षण के गंभीर आरोप लगते रहे हैं। नया विधेयक इस व्यवस्था को सुधारने और ज़मीनों के सही उपयोग की दिशा में एक ठोस सुधार है।
*इस विधेयक में शामिल प्रमुख बिंदु जैसे-*
केवल वही व्यक्ति वक़्फ़ संपत्ति दान कर सकेगा, जिसने पाँच वर्षों तक इस्लाम का पालन किया हो—यह वक़्फ़ की धार्मिक गरिमा को सुरक्षित रखने के लिए एक आवश्यक और युक्तिसंगत प्रावधान है।
वक़्फ़ संपत्तियों का सर्वे अब कलेक्टर जैसे वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी के माध्यम से होगा, जिससे सर्वेक्षण की प्रक्रिया अधिक निष्पक्ष और प्रभावी होगी।
विवाद की स्थिति में कलेक्टर का निर्णय प्रभावी माना जाना प्रशासनिक सरलता और शीघ्र न्याय का मार्ग प्रशस्त करता है।
वक़्फ़ ट्रिब्यूनल के निर्णय को अंतिम न मानने का प्रावधान न्याय की ऊँचाई को और अधिक लोकतांत्रिक बनाता है, क्योंकि इससे आम नागरिकों को उच्च न्यायालयों तक पहुँच का अधिकार बना रहेगा।
श्री अग्रवाल ने स्पष्ट किया कि यह विधेयक देश की धार्मिक विविधता का सम्मान करते हुए, व्यवस्थागत सुधार की दिशा में एक क्रांतिकारी पहल है। उन्होंने कहा, जो कानून जवाबदेही लाता है, वह किसी धर्म का विरोध नहीं, बल्कि उसके संरक्षण का माध्यम बनता है।
वर्ल्ड हिंदू फेडरेशन आशा करता है कि इस विधेयक के लागू होने से वक़्फ़ संपत्तियों के बेहतर उपयोग से समाज के वंचित तबकों को वास्तविक लाभ मिलेगा और ‘सबका साथ, सबका विकास’ की संकल्पना और अधिक मजबूत होगी।

दक्ष चोपड़ा (उज्जैन – जिला ब्युरों)
युवा पत्रकार सक्रिय पत्रकारिता करते हुए हर मामलें में दक्ष है। महाकाल की नगरी में होकर धर्म, राजनीति व सामाजिक विषयों पर अच्छी पकड़ रखते हैं।